हस्बी रब्बी जल्लल्लाह | तेरे सदक़े में आक़ा सारे जहाँ को दीन मिला / Hasbi Rabbi Jallallah | Tere Sadqe Mein Aaqa Sare Jahan Ko Deen Mila
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह ला-इलाहा इलल्लाह / Lyrics In Hindi
اَللّٰھُمَّ صَلِّ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓی اٰلِ مُحَمَّدٍ کَمَا صَلَّیْتَ عَلٰٓی اِبْرَاھِیْمَ وَعَلٰٓی اٰلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّکَ حَمِیْدٌ مَّجِیْدٌ
اَللّٰھُمَّ بَارِکْ عَلٰی مُحَمَّدٍ وَّعَلٰٓی اٰلِ مُحَمَّدٍ کَمَا بَارَکْتَ عَلٰٓی اِبْرَاھِیْمَ وَعَلٰٓی اٰلِ اِبْرَاھِیْمَ اِنَّکَ حَمِیْدٌ مَّجِیْدٌ
तेरे सदके में आका सारे जहां को दीन मिलाबे दीनों ने कलमा पढ़ा ला-इलाहा इलल्लाह
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह ला-इलाहा इलल्लाह
सिम्ते नबी बू-जहल गया, आक़ा से उसने ये कहा
गर हो नबी बतलाओ ज़रा, मेरी मुठ्ठी में है क्या
आक़ा का फ़रमान हुआ और फ़ज्ले रह़मान हुआ
मुठ्ठी से कंकर बोला, ला-इलाहा इलल्लाह
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह ला-इलाहा इलल्लाह
अपनी बहन से बोले उमर! ये तो बता क्या करती थी
मेरे आने से पहले, क्या चुपके-चुपके पढ़ती थी
बहन ने जब कुरआन पढ़ा, सुन के कलामे पाके ख़ुदा
दिल ये उमर का बोल उठा, ला-इलाहा इलल्लाह
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह, ला-इलाहा इलल्लाह
वो जो बिलाल ए हब्शी है, सरवर ए दीं का प्यारा है
दुनिया के हर आशिक़ की आंखों का वो तारा है
ज़ुल्म हुए कितने उन पर, सीने पे रखा पत्थर
फिर भी ज़बां पर जारी रहा, ला-इलाहा इलल्लाह
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह, ला-इलाहा इलल्लाह
मेरे नबी के ग़ुलामों का रुतबा बड़ा है, शान बड़ी
चाहे ग़ौसे आज़म हों, या के दाता हजवेरी
याद नहीं तुम्हें वो मंज़र, ख्वाजा ने जब खुद चलकर
नव्वे लाख को पढ़वाया, ला-इलाहा इलल्लाह
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह, ला-इलाहा इलल्लाह
मेरे मौला!! मेरे ख़ुदा!! तू है ख़ालिक़े अ़र्ज़ो समा
तू ही मालिके रोज़े जज़ा, मैं हूँ सरापा ज़ुर्मों ख़ता
फिर भी तुझ से है ये दुआ, वक़्ते नज़आ जब आये मेरा
लब पे हो बस एक सदा, ला-इलाहा इलल्लाह
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह, ला-इलाहा इलल्लाह
दुनिया के इन्सान कई शिर्क ओ विदअ़त करते थे
रब के बन्दे फिर भी, बुत की इबादत करते थे
बुत खाने हैं थर्राये, मेरे नबी हैं जब आयेे
कहने लगी मख़लूक़ ए ख़ुदा, ला-इलाहा इलल्लाह
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह, ला-इलाहा इलल्लाह
गुलशन कलमा पढ़ता है, चिड़िया कलमा पढ़ती है
दुनिया की मख़लूक़ सभी, ज़िक्र ख़ुदा का करती है
कहते सभी हैं जिन्नो बशर, कहता शजर है कहता हजर
कहता है पत्ता पत्ता, ला-इलाहा इलल्लाह
हस्बी रब्बी जल्लल्लाह मा-फ़ी क़ल्बी ग़ैरुल्लाह
नूर-ए-मुह़म्मद सललल्लाह, ला-इलाहा इलल्लाह
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